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Saturday, November 24, 2007

मैं पैदल ही उस पथ पर जाऊँगी-तस्लीमा


जो काम शाहबानो प्रकरण में कांग्रेस ने किया उसे सीपीएम ने तस्लीमा के मामले में दोहाराया है। आज तस्लीमा का कोई देश नहीं है। तस्लीमा किसी व्यक्तिगत महत्वकांक्षा की कीमत नहीं चुका रही है। वे धर्म जैसी उस अवधारणा पर चोट की कीमत भुगत रही हैं जिसे साफ-साफ कहने में बहुत लोगों के पैर कांपते हैं। वे लोग गलतफहमी में है जो ये मान रहे हैं कि तस्लीमा केवल इस्लाम का विरोध कर रही हैं। उनकी शिकायत किसी धर्म विशेष से नहीं बल्कि हर तरह के धर्म से है। वे धर्म के मानवीय चेहरे से नकाब उठाती हैं और इसे शोषण के एक मजबूत मकड़ जाले के रूप में देखती हैं। वे इससे टकराने में दाएं-बाएं नहीं करती बल्कि सीधे लड़ती हैं। हम आपके सामने धर्म पर तस्लीमा के उन विचारों को रख रहे हैं जो उन्होने सन 2000 में लॉस एजेंल्स में हुए एक सम्मेलन में दिया था। हमने उनके भाषण के एक छोटे हिस्से का अनुवाद दिया है बाकी भाषण खुद तस्लीमा की आवाज में सुनने के लिए हाईपर लिंक पर क्लिक करें।
आज मैं धर्म के बारे में आपसे कुछ बात करूंगी। दरअसल मैं धर्म और अपने बारे में बात करूंगी। इस धर्म ने मुझे अपना देश अपना घर छोड़ने पर मजबूर किया। धर्म ने ही मुझे अपनी उस जन्म-भूमि छोड़ने पर बाध्य किया जहां मैं पैदा हुई और बड़ी हुई। इस धर्म ने मुझे मेरी ब्रह्मपुत्र नदी से दूर कर दिया। जहां पर तरह-तरह के फूल लहरों के साथ नाचते थे औऱ मैं हवाओं के विपरित दौड़ा करती थी। मैं जहां बारीश में नहाती और सूरज की रौशनी के साथ खेला करती थी। इसने मुझे मेरे माता-पिता और गांव वालों से दूर किया। इसने मुझे मेरे दोस्तों से अलग कर दिया। इसने ही मुझे अपनी मां को उस वक्त छोड़ने पर बाध्य किया जब वे कैंसर से पीडित थीं। उस वक्त मैं बिल्कुल असहाय थी। इलाज के अभाव में उनकी मौत हो गई। मैं उन्हे बचाने के लिए कुछ भी न कर सकी। अब मेरे पिता भी गंभीर रूप से बीमार हैं। यह धर्म ही है जिसने मुझे उनसे बहुत दूर रहने के लिए मजबूर किया है। यह धर्म ही है जिसने उनके जीवन के इन अंतिम दिनों में देखभाल की इजाजत नहीं दे रहा है। धर्म ने मुझे और बहुत तरीकों से चोट पहुंचाया है। इस धर्म ने मेरी किताबों पर प्रतिबंध लगवाया और उसे जलाने की घोषणा की। मेरी गिरफ्तारी के वारंट के पीछे भी धर्म ही था। जिसकी वजह से मुझे अपना घर छोड़ना पड़ा और अपनी ही धरती के किसी अंधेरे कोने में शरण लेनी पड़ी। मेरी अपनी धरती अब मेरे खिलाफ है। धर्म का लक्ष्य मुझे गड़ासे, तलवार या फिर बंदुकों के जरिए खत्म करने का है। धर्म मेरे पीछे पड़ा है और वो मेरे गले के चारों ओर मोटी रस्सी का फंदा डालना चाहता है।
धर्म ने मुझे मेरे काम को छोड़ने के लिए बाध्य किया और अब वह मुझे फांसी देने की मांग कर रहा है। मेरे अपने देश में मेरे खिलाफ फतवा जारी किया गया। मुझे एक शैतान घोषित किया गया। आज मुझे मारने वाला आजाद घुमेगा और इनाम के बतौर पैसों की बरसात होगी। संक्षेप में कहें तो धर्म ने एक बड़ी संख्या में लोगों को मेरी हत्या करने के लिए तैयार किया है ताकी मुझे खामोश किया जा सके.....
भाषण के बाकी हिस्से को आप अंग्रेजी में सुनने के लिए यहां क्लिक करें...

1 comment:

Satyawati Mishra said...

इन्ही कमुनिस्ट लोगो की वर्तमान वेस्ट बंगाल सरकार ने मुस्लिम तुस्तीकरण की निति के कारन तसलीमा नसरीन को कोल्कता से हाल मे निकल दिया / इस बारे मे आपका क्या विचार है