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-मांधाता सिंह
दिलीप मंडल ने जिन तर्कों के आधार पर शिकस्त खाए वामपंथियों को दुमछल्ला कहा है वह उचित है। आखिर हार की कोई वजह तो होती ही है और वह वजह ही इन्हें दुमछल्ला साबित करती है।
दूसरी बात यह त्रिलोचनजी के लिए अपील की है तो इसमें गलत क्या है। खुश भाई साहब कहते हैं कि अमितजी अपने पिता की सेवा कर रहे हैं और सक्षम हैं। इसके लिए मदद की दरकार नहीं। मगर उन्होंने खुद अमितजी से पूछा है कि क्या आप मदद के विरोधी हैं ? अगर नहीं तो फिर खुश भाई साहब पहले अमितजी से कहिए कि समकालीन जनमत को अपील बंद करने को कहें। मेरे ख्याल से अगर त्रिलोचन जी का और बेहतर इंतजाम हो पाए तो इसमें बुराई क्या है? लेखक बिरादरी मदद की बात करे तो यह फक्र की ही बात है। खुश भाई साहब कृपया अनावश्यक विवाद न पैदा करें।
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