समकालीन जनमत (पत्रिका) के लिए संपर्क करें-समकालीन जनमत,171, कर्नलगंज (स्वराज भवन के सामने), इलाहाबाद-211002, मो. नं.-09451845553 ईमेल का पता: janmatmonthly@gmail.com

Monday, March 10, 2008

कार्टूनिस्ट की नजर में गाजा

ब्राजील के कार्टुनिस्ट कार्लुस लतीफ ने गाजा को कुछ इस नजर से देखा..






शर्म करो धनपशुओँ

रविवार को भारतीय हाकी टीम ओलंपिक से बाहर हो गई है। क्वालिफायर मुक़ाबले में भारतीय टीम ब्रिटेन की टीम से 0-2 से हार गई है। यह पिछले 80 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि भारतीय टीम ओलंपिक क्वालिफायर से ही बाहर हो गई है।
किसी देश के विकास का एक पैमाना खेल भी होता है। क्योंकि इसमें राज्यों की भूमिका साफतौर पर रंग लाती है। लेकिन क्या ये महज हाकी के खिलाड़ियों की दुर्गति कही जाएगी या हमारी खेल नीति की कमी मानी जाय?
दो से तीन देशों के बीच हुई प्रतियोंगिता को विश्वकप मानते हुए प्रसार माध्यम और खेल मंत्रालय पागलों की तरह तीन दिन बाजा बजाते रहे। मैच के लाइव प्रसारण के बावजूद पूरा दिन सर पीटते रहे। अपने समय में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला खिलाड़ी उनका गेस्ट हो जाता है और शुरू हो जाता अजीबोगरिब सांख्यकी का प्रयोग।
हाकी की हार महज खेल नीति पर सवाल नहीं खड़ा करता। यह उस परिवेश की दिशा और दशा दोनों बताता है जिसमें क्रिकेट के अलावा सारे खेल दम तोड़ देंगे।

Sunday, March 9, 2008

पश्चिम रच रहा है नया होलोकॉस्ट




'sohah'को हिब्रु में होलोकॉस्ट कहते हैं। फिलिस्तिनियों को इजरायली रक्षा मंत्री इसी बात से डरा रहे हैं। 29 फरवरी को आर्मी रेडियो पर प्रसारित अपनी घोषणा में उन्होने कहा है कि गाजापट्टी से रॉकेटों से लगातार हमले हो रहे हैं जिसके मद्देनजर गाजा के लोगों को नए होलोकॉस्ट के लिए तैयार रहना होगा। इसके बाद 4 और 5 मार्च को अमेरिकी विदेश मंत्री कोडेलिजा राइस इजराइल की यात्रा पर थीं। उनकी यात्रा तथाकथित पीस प्रोसेस में गर्मी लाने के लिए थी। उसी वक्त इजरायली सैनिक ऑपरेशन पिन प्वाइंट के जरिए गाजा पट्टी के खान यूनूस में बंदूके ताने घुम रहे थे। इस दौरान तीन साल की अमिरा अबू असर को गोलियों से उड़ाते हुए इन सैनिकों ने 27 फरवरी से शुरू हुए हमले में 27 बच्चों को मारने का रिकॉर्ड कायम किया। इस इजारयली हमले में कुल 125 फिलिस्तीनी मारे गए जिसमें ज्यादातर नागरिक थे।
सबसे खतरनाक बात है इन हत्याओं की खबरों पर रोक लगाना। Electronic Intifada website पर छपी एक रिपोर्ट मे कहा गया है कि एपी जैसी न्यूज संस्थाओं ने बच्चों की हत्या से जुड़ी 85 परसेंट खबरों को लोगों तक पहुंचने नहीं दिया है। हालांकि ऐसे आपराधिक दिमाग हिंदुस्तान के मीडिया के साथ-साथ ब्लॉग की दुनिया में भी हैं। जो यह तर्क दे रहे हैं कि देश में ही इतनी समस्याएँ हैं तो गाजा के बारे में क्या सोचना! यह एक वैचारिक नस्ल है जो हर धरती पर मौजूद होती है। यहं संस्कृतनुमा हिंदी और अमेरिकीनुमा अंग्रेजी बोलती है। हमारी आप से अपील है कि इन हत्याओं की खबर को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुंचाई जाय और फिलिस्तीन के संघर्ष को खुलकर समर्थन दिया जाय।