Wednesday, January 2, 2008
दंभी लोगों की गूंज है फिल्म 300
-विनिता
३०० की ऎतिहासिक पृष्ठभूमि एक बात है लेकिन उसका फिल्मी रुपान्तरण सिर्फ तथ्यों को नही रखता। इरानी सेना को दैत्यों, जादूगरों और पशुवत लोगों से भरा दिखाकर यह फिल्म जो कह रही है उसको समझने में किसी भी न्यूनतम राजनैतिक समझदारी रखने वाले को दिक्कत नहीं होनी चाहिए। फिल्म में लियोनायडस के जरिये कही गई बात कि दुनिया में सभ्यता और स्वतंत्रता कि आखरी उम्मीद स्पार्टा है,में निश्चित तौर से आज के पश्चिमी महाबलियों कि भाषा की दंभी गूंज सुनी जा सकती है। इतिहास कि इस तरह कि तोड़-मरोड़ का हर तरह से प्रतिरोध होना चाहिए, निश्चित तौरपर सांस्कृतिक रुपों में भी, जिसका ईरानी संगीतकार यास एक अच्छा उदाहरण पेश करते हैं।
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