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Sunday, September 23, 2007

कितनी मौतों के बाद जागेगा आदर्शवादी मन


“मै 10 साल का इराकी लड़का हूं । मेरे पिता बगदाद के किसी अनजान जेल में बंद हैं। बड़ा भाई गायब है और मां के पास पैसे नहीं है। छोटी बहन और मां की हालत ऐसी नहीं कि उन्हे घर में अकेला छोड़ा जा सके। आसपास पड़ोस की ज्यादातर महिलाएं अब गुमसुम रहती हैं क्योंकि उनमें से ज्यादातर के पति या भाई या तो मारे जा चुके हैं या फिर गायब हैं। मन में अजीब सा सन्नाटा है जिसे मनहूस धमाके और आग अक्सर तोड़ते रहते हैं। मेरा प्यारा कुत्ता गायब है..स्कूल कई साल से बंद हैं मेरे ज्यादातर दोस्त अपने परिवार के साथ इराक छोड़कर जा चुके हैं, मेरे पास बस अब पिता और भाई की तलाश की जिम्मेदारी है”-असमाद, इराकी बालक

इराकी नागरिकों की मौत की बढ़ती संख्या को लेकर उदासीनता बढ़ती जा रही है। कोई नहीं जानता कि अब तक अमेरिकी कब्जे के बाद कितने इराकी मारे गए। फरवरी में एपी पोल के मुताबिक आम अमेरिकी मानता है कि कि करीब 9,990 इराकियों की मौत हुई है। लेकिन ताजा साक्ष्य इस बात के गवाह हैं कि यह संख्या इसका डेढ़ सौ गुना है। समाचार रिपोर्ट्स की टोल कार्ड से अंदाजा लगाया गया है कि अमेरिकी हमले के बाद 75 हजार इराकी लोग मारे जा चुके हैं।
लेकिन चौंकाने वाली खबर रही है युद्ध पर केंद्रित हाल की हार्वर्ड कॉनफ्रेंस। इसमें युद्ध की विभिषिका झेल रहे हैं 13 देशों के ऊपर चर्चा की गई। जिसमें कहा गया कि युद्धरत देश की 80 % हत्याओं की खबर किसी माध्यम के जरिए सामने नहीं आ पाती। भरोसा न हो तो इराकी शहर नजफ के इस अधिकारी के बयान पर गौर करिए। मिडिल इस्ट ऑन लाइन पर छपे बयान में कहा गया है कि शहर में करीब 40 हजार ऐसी लाशें है जिनकी अभी तक पहचान नहीं हो पाई है। इसी तर्ज पर 5 सितंबर को सी स्पॉन पर दिए अपने ताजा भाषण में अमेरिका में इराकी राजदूत समीर सुमैदा बताते हैं कि उनके देश में 5 लाख युवतियां विधवा बन चुकी हैं। पिछले दिनों ब्रिटेन की जानी मानी सर्वे एजेंसी ORB ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इराक के 22% परिवार के सदस्य गायब हैं।
लेकिन पथराई आंखों से खबर देखने वाले के इतर इराकी लोगों ने अपनी लड़ाई को अलग रंग देना शुरू कर दिया है। इराक को सांप्रदायिक हिंसा से ग्रस्त देश बताने वाले लोगों को इराकी नेशनल रेजिस्टेंश फोरम नाम का एक धर्मनिरपेक्ष संगठन चुनौती देने लगा है। शिया- सुन्नी मिलीशिया ने अमेरिकी कब्जे के खिलाफ अब एक होकर युद्ध लड़ने का फैसला किया है। यह एकता ऐसे समय में बनी है जब अमेरिकी नीति निर्माताओं ने बगदाद को बीच से बांटने के लिए दीवार उठाने की सलाह दी थी। उसका तर्क था कि शिया-सुन्नी के बीच तनाव दूर करने में यह दीवार मदद करेगी। हालांकी सीएनएन या बाकी पश्चिम परस्त मीडिया इस ज्वाइंट रेजिस्टेंश फोरम की खबर को ब्लैक आउट किया है। क्योंकि उसके फंड सोर्स के लिए यह एक बुरी खबर है। इराक नेशनल रेजिस्टेंश फोरम के सदस्य अबु मुहम्मद के मुताबिक अभी तक वे अमेरिकी सेना और उसके सहयोगियों से लड़ने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे थे लेकिन उन्हे लगा कि इराक आपसी लड़ाई के चलते इस युद्ध को नहीं जीत सकता। इस फोरम ने अपना उद्देश्य पूर्ण स्वतंत्रता और मुक्ति घोषित कर दिया है।

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