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Wednesday, September 10, 2008

पार्टिकल भौतिकी का इम्तहान


आज भौतिकी के पांच सिद्धांतों के सही गलत पर फैसला शुरू हो रहा है।। इन सिद्धांतो को विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों ने अपना जीवन लगा दिया। हम पाठकों को बताने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर कौन से हैं वे पांच सिद्धांत और किस तरह से एलएचसी प्रयोग उन्हे कटघरे में खड़ा कर सकता है-
1-बिंग बैंग सिद्धांत- लार्ज हड्रॉन कोलाइडर्स में क्वार्क ग्लुआन प्लाज्मा तैयार करेगा। यह ऐसा तत्व है जो बिगबैंग के ‘तत्काल’ (मिली सेकेंड) बाद की अवस्था में मौजूद होता है। उस वक्त क्वार्क ग्लुआन प्लाज्मा अवस्था का तापमान सूरज के तापमान से 100,000 गुना ज्यादा होगा। लेकिन यह तेजी से ठंडा होकर क्वार्क में तब्दील होगा और बाकी कणों में विलीन हो जाएगा। यही वह कण है जिसे वैज्ञानिक देखने की कोशिश करेंगे। अगर वे इसे परख लेते हैं तो यह जानना आसान हो जाएगा कि आखिर न्यूट्रान और प्रोटान 100 गुना भारी क्यों हो जाते हैं।
वैज्ञानिक इस प्रयोग में एक ब्लैक होल पैदा करेंगे। जो इस प्रयोग को आलोचना के घेरे में ले लिया है। कुछ लोगों का मानना है कि अगर सुई की आंख के बराबर भी ब्लैक होल पैदा होगा तो सारी पृथ्वी को लील लेगा। लेकिन प्रयोग करने वाले इसे मजाक मानते हैं उनका कहना है कि वे एक लैंप के बराबर भी इस ब्लैक होल से एनर्जी नहीं निकलने देंगे।
2-सट्रींग सिंद्धांत- स्ट्रींग सिद्धांत मानता है कि कण शून्य आयाम वाला न होकर एक आयामी तार की तरह होता है। लेकिन इस प्रयोग से इस तैरते तार वाले आयाम की समझ तब संकट में पड़ सकती है जब एका नाम का कण का आयाम ऐसा न साबित करे।
कुछ वैज्ञानिक एका स्पार्टिक्लस नाम के कण को 11 वें आयाम से मिला संकेत मानते हैं। इस प्रयोग के बाद यह तय हो जाएगा कि वाकई दुनिया 11 आयाम वाली है। जिसमें से चार आयाम का तो हम अनुभव कर लेते हैं लेकिन बाकी सात आयाम प्रकृति की ताकत को एकीकृत करते हैं।

3-‘हमारा अकेला यूनिवर्स नहीं है’ सिद्धांत
अगर वैज्ञानिक इस प्रयोग के जरिए ग्लुआन के सुपर सिमेट्रिक पार्टनर्स यानी ग्लुयानो को ढूंढ लेते हैं तो यह माना जा सकता है कि हम यूनिवर्स में अकेले नहीं हैं यानी हमारा यूनिवर्स इकलौता नहीं है।
4-यूनिवर्स का डार्क मैटर सिद्धांत –आज वैज्ञानिकों का बड़ा हिस्सा मानता है कि ब्रह्मंड का 96 फीसदी हिस्सा डार्क मैटर और उर्जा से बना है। जिसे न तो हम देख सकते हैं और शायद ही खोज सकते हैं। वैज्ञानिक मानते है कि यूनिवर्स का 26 फीसदी हिस्सा डार्क मैटर से बना है। इसका अहम तत्व है न्यूट्रिलिआनो है। वैज्ञानिक मानते हैं कि अगर यह पता चल जाय कि न्यूट्रिलिआनो ही इसका महत्वपूर्ण हिस्सा है तो इसका उत्पादन करना आसाना होगा। एलएचसी के प्रयोग के दौरान अगर मलवे में न्यूट्रिलियानों मिलता है तब तो डार्क मैटर सिद्धांत बना रहेगा अन्यथा यह सिद्धांत भी सवालों के घेरे में होगा।

5-पार्टिकल भौतिकी का स्टैंडर्ड मॉडल –अगर हिग्स पार्टिकल या हिग्स की तरह के पार्टिकल्स मिलते हैं तो यह बहुत बड़ी खोज नहीं होगी। लेकिन ऐसा भी संभव है कि यह पार्टिकल भौतिकी में नए मोर्चे खोल दे। कुछ वैज्ञानिक मान रहे हैं कि एलएचसी प्रयोग में जो टक्कर से मलवा पैदा होगा उसमें केवल हिग्स पार्टिकल्स ही मिलें और कुछ नहीं। यानी प्रोजेक्ट की असलफलता।

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