कबीर सुमन की भी वही हालत होने जा रही है जो कुछ साल पहले भूपेन हजारिका की हुई थी। कबीर सुमन को अब जाकर यह एहसास हुआ कि तृणमूल कांग्रेस तो वैसी ही है जैसी सीपीएम या कांग्रेस।
कबीर सुमन 24 परगना के यादवपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद है। कबीर का कहना है कि वे सांसद विकास निधि के बारे में जब भी पूछते हैं तो तृणमूल नेता उन्हे कहते हैं कि आप घर पर रहो अपना गाने बजाने का काम करो ...सब ठीक-ठाक चल रहा है। उन्हे साफ पता है कि ये पैसा आम लोगों के विकास के काम में नहीं उपयोग हो रहा है। तृणमूल सुमन ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि जब वह पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी के सामने समस्याओं को उठाते हैं, वह खारिज कर देती हैं। बकौल सुमन-'जब उनसे समस्याओं को लेकर कुछ कहता हूं, वह कहती हैं कि मुझे गिटार कब सिखाओगे।' सुमन का कहना है कि पार्टी में उनका दम घुट रहा है। खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस जनता के लिए कुछ नहीं कर रही है।
सुमन का कहना है कि -'मैं सिर्फ एक सांसद के तौर पर काम नहीं कर सकता। मैं पार्टी का गुलाम बनकर रह गया हूं। मैं घुटन महसूस कर रहा हूं।'
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने कबीर के बयान पर कहा कि यह एक सामान्य बात है जिसे तूल नहीं दिया जाना चाहिए। लोकतांत्रिक व्यवस्था में सबको स्वतंत्र तरीके से अपने विचार रखने का अधिकार है। कबीर सुमन एक मेहमान हैं तृणमूल के एक्टिविस्ट नहीं है..। शायद तभी उन्होने भ्रष्टाचार पर सवाल उठाने की हिम्मत कर डाली। लेकिन कबीर आप इतने भी तो भोले न थे। जनता जिस वजह से आपको सम्मन देती है वो आपकी आवाज है। व्यवस्था को लेकर आप ठगा महसूस कर सकते है लोगों को तो ठगे जाने की आदत है। बस थोड़ा दुख है कि आपको ठगे जान का एहसास अब हुआ।
1 comment:
जनता की ज्यादा फिक्र करेंगे तो फिर कुछ भी अप्रिय हो सकता है | अच्छा है की उनको गिटार सिखाते रहो और जैसा सुप्रीमो कहती हैं चलते रहो!!!
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