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Wednesday, October 28, 2009

लोकतंत्र का खतरा या खतरे में लोकतंत्र !


न्यूज चैनल CNNIBN पर प्रसारित करण थापर के साथ अरुंधती राय का साक्षात्कार कई मायनों में महत्वपूर्ण है।
ये साक्षात्कार महज सवाल और जवाब का सिलसिला भर नहीं है। इसमें साक्षात्कार देने और लेने वाले दोनों अपने 'अनकुल लोकतंत्र'के हिसाब से सवाल जवाब कर रहे हैं। एक 'लोक'को दरकिनार करने वाली नीतियों के जरिए लोकतंत्र चाहता है तो दूसरे मौजूदा लोकतंत्र के ढांचे पर ही आपत्ति है,उसका मानना है कि मौजूदा लोकतंत्र की बनावट ही ऐसी है कि इससे 'लोक' दूर होता जा रहा है।
साक्षात्कार पांच हिस्सों में है और खासतौर पर इन सवालों पर केंद्रित है कि-
-लोकतंत्र खतरे में है या फिर खतरनाक लोकतंत्र बेनकाब हो रहा है?
-क्या नक्सलवाद और राज्य के बीच संघर्ष धनी और गरीब लोगों की सेनाओं का संघर्ष है?
-अगर अभी तक शांतिपूर्ण आंदोलन की अनदेखी के बाद क्या हिंसक संघर्ष एकमात्र रास्ता होना चाहिए है?
-क्या नक्सलियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई जरूरी है?
--क्या सरकार को खनन कंपनियों के साथ हुए MoU को सार्वजनिक करना चाहिए?
-क्या राजनेता,उद्योगपतियों के लेफ्टिनेंट की भूमिका निभा रहे हैं?
पहला हिस्सा-

दूसरा हिस्सा

तीसरा हिस्सा

चौथा हिस्सा



पांचवां हिस्सा

साभार-आईबीएनलाइव

1 comment:

Unknown said...

सुना है अरुंधती ने कहा है कि "जब कोई रास्ता न हो तब बन्दूक उठाना जायज़ है?" इस पर आप के विचार क्या हैं? और यदि कश्मीर के विस्थापित हिन्दू यदि हथियार उठायें तो क्या अरुंधती साथ देंगी? जवाब का इन्तज़ार है…