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Wednesday, February 20, 2008

इतिहास ने आपको सही साबित किया


क्यूबा के राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो जब बीमारी से घिर गए थे तो सनक से भरे मीडिया माध्यमों ने श्रद्धांजली के ढेरो कॉलम और पैकेज बना डाले। कल जब कास्त्रो ने सत्ता से दूर रहने का इरादा जताया तो ये सारे मैटेरियल थोड़े सुधार के साथ बजने और छपने लगे। आदमीनुमा दिखने वाला एक हिंसक जानवर जो अफ्रीका के दौरे पर है उसने वहीं से ऐलान किया है कि क्यूबा से आर्थिक प्रतिबंध नहीं हटाया जाएगा। मानवाधिकार हनन से लेकर तानाशाह शासक होने के आरोप कितने खोखले हैं यह फिदेल कास्त्रो के भाषण में साफ दिखता है।

सम्मान विक्रय के लिए नहीं है...
बमबारी समाप्ति के लिए हमसे कोई सौदेबाजी नहीं होगी। यदि उन्होने जिस दिन बमबारी शुरू की, मैं उनसे आगे हो जाउंगा...हम कोई भी मुर्खता नहीं करते हैं जिसका कि वो बहाना बना सकें। आप देख सकते हैं कि (ग्वानतानामों) आधार के लिए हम कितनी सहनशीलता का परिचय दे चुके हैं। यह क्यूबाई जमीन का छोटा सा टुकड़ा है और इसे वापस लेना का हमे पूरा अधिकार है। हम बहुत धैर्यशील हैं..हम कहते हैं कि 'नहीं,अपेक्षाकृत अपनी भूमि के प्यारे टुकड़े को स्वतंत्र कराने की अपेक्षा विश्व को स्वतंत्र करना अधिक महत्वपूर्ण है, वैसे वह हम उन्हे कभी नहीं देंगे।
वे मानवाधिकारों के मुद्दे पर हमसे क्या कह सकते हैं। हमारे यहां एक भी अनपढ़ व्यक्ति है? यहां एक भी बच्चा नहीं है जो स्कूल नहीं जाता हो, नही कोई भी ऐसा व्यक्ति है जिसे स्वास्थ्य सुविधाएं न मिलती हों। यहां कोई भी भिखारी नहीं है, यद्यपि कुछ गैर जिम्मेदार परिवार जरूर हैं जो अपने बच्चों को कुछ काम सौंप देते हैं। यह पर्यटन से सबंधित है और इसका प्रभाव है, यह हमारी अस्मिता नहीं है, बल्कि यह हमारा गौरव है। यहां कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जो गलियों में निष्काषित पड़ा हो...इस देश में एक भी गुमशुदा नहीं है। यहां एक भी राजनीतिक हत्या नहीं हुई है न ही किसी एक व्यक्ति की हत्या की गई है। क्रांति के इतने सालों बाद हमें हमको विभाजित करने के ढेरों प्रयासों के बाद भी हम अपनी क्रांति को जीवित रखे हुए हैं...वे हमारे लोगों की लौह एकता, देशभक्ति और उनकी राजनीतिक-सांस्कृति के आगे समाप्त हो गए....

1 comment:

दिनेशराय द्विवेदी said...

सामयिक। अच्छा उत्तर।

वर्ड वेरीफिकेशन तो हटा दें।