महिला दिवस ऐतिहासिक स्वरूप से आजादी और सच्चे लोकतंत्र की ओर उठाए गए कदमों महत्वपूर्ण कड़ी है। लेकिन जितना इसके नजदीक जाने के ढोल पिटते रहे यह उतना ही अपने मूल उद्देश्य से पीछे हटती गई। हमें याद रखना चाहिए कि हमें आजादी किसी सरकार से नहीं बल्कि लड़कर हासिल करने से मिली है। यदि हम अपनी आजादियों का इस्तेमाल नहीं करते, समय-समय पर उनको नहीं आजमाते तो वे हमसे वापस ले ली जाएंगी। यदि हमने अधिकतम आजादी की मांग नहीं की तो हमारे पास यह न्यूनतम रह जाएगी। पूरी दुनिया में आज आजादी की सुरक्षा के नाम पर आजादी के पंख कतरे जा रहे हैं। अभी भी दुनिया का बड़ा हिस्सा अपने वजूद को लेकर संघर्षरत है। आजादी की चाह रखने वाले दुनिया को भी आजाद देखना चाहते हैं और रसेल कोरी उनमें से एक थी। समकालीन जनमत ने जब महिला दिवस को रसेल कोरी के बहाने याद करने निर्णय लिया तो कई बार ये सवाल उठा कि रसेल कोरी ही क्यों...फिर लगा कि हमें महिला दिवस पर आजादी के किसी ऐसे प्रतीक को लेना चाहिए जो प्रासंगिक होने के साथ उसके संघर्ष अभी भी लोगों को हौसला देते हों....फिलिस्तीन में शहीद हुई अमेरिकी युवती रसेल कोरी से बेहतर कोई नहीं मिला..
रसेल कोरी की एक साथी ने उनकी शहादत के बाद एक फिल्म बनाई थी...रसेल की याद में आप भी देखिए