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Saturday, December 15, 2007

शैलेंद्र की याद में...


शैलेंद्र का जन्म 30 अगस्त 1923 को रावलपिंडी में हुआ था। पूरा नाम था शंकरदास केसरीलाल शेलेंद्र। रेलवे की सेवा शैलेंद्र को मुंबई ले आई। अपने कविता को हथियार बनाकर आजादी की लड़ाई में शरीक हुए। पब्लिक मीटिंग में "जलता है पंजाब" कविता सुना रहे थे। उसी भीड़ में राजकपूर भी मौजूद थे। यहीं से राजकपूर और शैलेंद्र साथ हो लिए।
वैसे तो शैलेंद्र ने ज्यादातर गीत शंकर-जयकिशन के साथ कंपोज किया लेकिन उतनी ही शिद्दत के साथ उन्होने सलिल चौधरी (मधुमति),एस एन त्रिपाठी (संगीत सम्राट तानसेन)और एस डी बर्मन (गाईड) के लिए गीत लिखा।

राजकपूर के साथ उन्होने कई यादगार फिल्मे की और एक ऐसी टीम बनी जो पूरी फिल्म इंडस्ट्री के लिए यादगार बन गई। राजकपूर ने शैलेंद्र की तीसरी कसम पर फिल्म बनाने की ख्वाहिश को भी अंजाम देने में मदद की।
गीतकार के रूप में शैलेंद्र को तीन बार फिल्म फेयर एवार्ड मिला। किसी तरह पैसे जुटाकर शैलेंद्र ने तीसरी कसम बनाई थी। लेकिन जब वो पर्दे पर नाकाम रही तो शैलेंद्र बूरी तरह टूट गए। इस फिल्म के लिए राजकपूर काफी आर्थिक सहयोग भी दिया था। कहते हैं फिल्म की नाकामी के बाद शैलेंद्र ने 14 दिसंबर 1966 को आत्म हत्या कर ली। इसी दिन राजकपूर का जन्म दिन भी है।


जले बहार के लिए जो जिंदगी....

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