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Tuesday, February 2, 2010

इब्नबतूता का जूता


-सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

इब्नबतूता पहन के जूता
निकल पड़े तूफान में
थोड़ी हवा नाक में घुस गई
घुस गई थोड़ी कान में

कभी नाक को, कभी कान को
मलते इब्नबतूता
इसी बीच में निकल पड़ा
उनके पैरों का जूता

उड़ते उड़ते जूता उनका
जा पहुँचा जापान में
इब्नबतूता खड़े रह गये
मोची की दुकान में।


(सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने ये कविता बच्चों के लिए लिखी थी)
कौन था इब्नबतूता?
इब्नबतूता अरब देश से 14वीं शताब्दी में भारत आए थे. भारत में मौलाना बदरुद्दीन और दूसरे पूर्वी देशों में शेख़ शम्सुद्दीन कहे जानेवाले इतिहासकार और घुमक्कड़ का असली नाम अबू अब्दुल्ला मोहम्मद था. 22 साल की उम्र में ये दुनिया की ख़ाक छानने निकल पडे और लगातार 30 साल तक घूमक्कड़ी की। उस ज़माने में कोई 75000 मील का सफर आसान न था एक बार तो भारतीय समुद्री डाकुओं ने उसे ऐसा लूटा कि उनकी कुछ महत्वपूर्ण पांडुलिपियां भी जाती रहीं. 73 साल की उम्र में उनकी मृत्यु अपने देश में ही हुई. दुनिया में वो घुमक्कडों के सुल्तान माने जाते हैं.

2 comments:

naveen kumar naithani said...

गुलजार के गीत के विवाद की परछायी में सदस की यह कविता सब तक पहुंचनी चाहिये

विजय प्रताप said...

अच्छी जानकारी दी