समकालीन जनमत (पत्रिका) के लिए संपर्क करें-समकालीन जनमत,171, कर्नलगंज (स्वराज भवन के सामने), इलाहाबाद-211002, मो. नं.-09451845553 ईमेल का पता: janmatmonthly@gmail.com

Sunday, November 30, 2008

'बेहतर विकल्प'....!


निर्दोष लोगों की हत्याओं को कभी भी जायज नहीं ठहराया जा सकता। मुंबई की घटना को लेकर व्यवस्था पर सवाल उठाना गलत नहीं है। लेकिन अगर इस सवाल को विज्ञापनबाज नजरिए से धार्मिक हिंसा में यकीन रखने वाले ही उठाने लगें तो हमें सतर्क हो जाना चाहिए। क्योंकि यह फिर से हमें ऐसी ही हिंसा के आस पास लाकर पटकने की साजिश है।
पिछले दिनों मुंबई में जो कुछ भी घटा उसने आम हिंदुस्तानियों को भले ही झकझोर दिया हो लेकिन धार्मिक आतंकवाद के खास चेहरे ने राहत की सांस ली है। हमारे लिए अब यह चेहरा अजनबी नहीं है। सूचना से जुड़े सबसे सशक्त माध्यम भी उसके काले चेहरे को बेहतर राजनीतिक विकल्प के रूप में स्थापित करने की कोशिश में जुट गए हैं। लेकिन हमें मुंबई और मालेगांव दोनों की हकीकत को समझते हुए 'बेहतर विकल्प' की इस हकीकत को बेनकाब करना होगा।

3 comments:

Udan Tashtari said...

यह बेहतर विकल्प क्या होगा..उसी की तलाश है!!

Unknown said...

behtar vikalp par maine bhi ek choti si tappani likhi hai apne blog par..
lagta hai iss vishay par vishad charcha ki zaroorat hai...mere blog ko padhne zaroor padhariyega.

Anonymous said...

क्या बेहतर विकल्प चाहते हैं आप ? भला हो मीडिया का और आपकी रूलिंग पार्टी का. जिसने मुस्लिम आंतकवाद के खिलाफ एक नया माले गाँव का शिफुगा छोड़ कर लोगों का ध्यान असल समस्या से हटा दिया .... में ये बात २६ ११ से पहले की कर रहा हूँ. अब आप क्या बेहतर विकल्प चाहते हैं.