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Tuesday, March 18, 2008

Tibet-The Story Of A Tragedy

तिब्बत पर प्रसून के लेख ने तिब्बत के इतिहास को जिस नजरिए से देखा उसका कुछ लोगों ने समर्थन किया तो कुछ ने चीनी दूतावास का पर्चा बताया। अब हम आपको तिब्बत पर एक ऐसी फिल्म दिखाने जा रहे हैं जो तिब्बत के इतिहास पर बहुत सटीक नजरिया पेश करती है। थोड़ा ध्यान से देखें तो पता चलेगा कि सांस्कृतिक स्वायत्ता की मांग में आखिर सीआईए और ब्रिटिश राजाओं की भूमिका किस तरह की थी। तथ्य और तकनीक के लिहाज से यह अब तक की सबसे प्रमाणिक फिल्म मानी गई है। हो सकता है जिस तरह प्रसून के लेख को कुछ लोगों ने चीनी पर्चा बताया उसी तरह यह फिल्म धर्मशाला की प्रोपेगैंडा फिल्म लगे। पिछले लेख में जिस तरह के विचार आए उस पर बातचीत आगे की जाएगी, लेकिन फिलहाल देखते हैं
Tibet The Story Of A Tragedy


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1 comment:

Anonymous said...

साम्राज्यवादी ताकतें खुद को लोकतन्त्र, सभ्यता और आधुनिकता का मसीहा साबित करने का एक भी मौका नहीं छोड़तीं. सूडान से लेकर बर्मा और तिब्बत तक और इराक से लेकर लैटिन अमेरिकी मुल्कों तक.

इन मुल्कों के अपने बहुरँगे बुर्जुआ - कुछ आधुनिक तो कुछ पारम्परिक/धार्मिक पहचानों की आड़ लिये भी इसी तरह जोड़-तोड में लगे रहते हैं , सत्ता के नये मध्यस्थ बनने के लिये.

आपकी ये वीडियो पोस्ट बहुत मौजू है. लेकिन सवाल है कि क्या किसी भी जन-उभार को हमें उसकी समर्थक ताकतों,य फ़िर उसके लीडरशिप के सवाल से जज करना होगा?

प्रतिगामी तत्वों द्वारा समर्थित ऐसे कई वीडियो उसी यू-ट्यूब पर उन आंदोलनों के भी मिल जायेंगे जिनका आप समर्थन करते हैं. क्या भाजपा के नंदीग्राम की चीख-पुकार में शामिल होने से हम वहाँ पलट जायें?

एक बार फ़िर सोचिये. क्या लोग इतने सालों बाद भी तिब्बत में दलाई लामा या अमेरिका के उकसावे में ही काम कर रहे हैं? क्या दूसरी कोई वजहें नहीं?

विकास और निवेश के नाम पर तिब्बत चीन के लिये सस्ते श्रम का पूल बना दिया गया है और वहाँ के कचरे का कूड़ाघर भी. यदि आप इन डीटेल्स पर बात करना चाहें तो खुशी होगी.

अन्त में, अगर ये सही भी है कि तिब्बती हलचल में शामिल कुछ लोग अमेरिका/दलाई लामा य फ़िर किसी और कुत्सित मंशा से प्रेरित हैं तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं. यह किसी भी आंदोलन में हो सकता है, होता आया है. सवाल यह है कि हम चीजें किस ओर से देख रहे हैं. हमें लोगों का बार-बार उठ खड़ा होना दिख रहा है य नहीं. या इस बहाव में शामिल मेंढकों के बहाने हम बस मुँह मोड़ना चाहते हैं.