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Monday, March 10, 2008

शर्म करो धनपशुओँ

रविवार को भारतीय हाकी टीम ओलंपिक से बाहर हो गई है। क्वालिफायर मुक़ाबले में भारतीय टीम ब्रिटेन की टीम से 0-2 से हार गई है। यह पिछले 80 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि भारतीय टीम ओलंपिक क्वालिफायर से ही बाहर हो गई है।
किसी देश के विकास का एक पैमाना खेल भी होता है। क्योंकि इसमें राज्यों की भूमिका साफतौर पर रंग लाती है। लेकिन क्या ये महज हाकी के खिलाड़ियों की दुर्गति कही जाएगी या हमारी खेल नीति की कमी मानी जाय?
दो से तीन देशों के बीच हुई प्रतियोंगिता को विश्वकप मानते हुए प्रसार माध्यम और खेल मंत्रालय पागलों की तरह तीन दिन बाजा बजाते रहे। मैच के लाइव प्रसारण के बावजूद पूरा दिन सर पीटते रहे। अपने समय में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला खिलाड़ी उनका गेस्ट हो जाता है और शुरू हो जाता अजीबोगरिब सांख्यकी का प्रयोग।
हाकी की हार महज खेल नीति पर सवाल नहीं खड़ा करता। यह उस परिवेश की दिशा और दशा दोनों बताता है जिसमें क्रिकेट के अलावा सारे खेल दम तोड़ देंगे।

1 comment:

Arun Aditya said...

behad sharmanaak.baki khelon ke liye bahut hi kathin samay hai.