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Friday, November 16, 2007

जन संस्कृति मंच की अपील

नंदीग्राम में राज्य प्रायोजित हिंसा के खिलाफ कोलकाता में विरोध प्रदर्शन कर रहे फिल्मकारों और कलाकारों पर लाठीचार्ज और उनकी गिरफ्तारी की देश भर के प्रमुख साहित्यकार-संस्कृतिकर्मियों ने कठोर शब्दों में निंदा की है और राष्ट्रपति से ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने की अपील की है।

साहित्यकार-कलाकार-बुद्धिजीवियों द्वारा जारी बयान के अनुसार पश्चिम बंगाल सरकार ने नंदीग्राम में बेशर्मी की सारी हदें पार कर चुकी है और खूनी आतंक के बल पर मरघट की शांति कायम करना चाहती है। उसने अपनी ही जनता के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है और उसके कत्लेआम पर उतर आई है। 'जो हमारे साथ नहीं है वह हमारा दुश्मन है` जैसे तर्क के जरिए वह नंदीग्राम में शासकीय दमन का विरोध करने वाली हर आवाज को जिस तरह से कुचल रही है, वह बर्दाश्त करने लायक नहीं है। इसी तर्क के आधार पर उसने कोलकाता में फिल्म फेस्टिवल के दौरान विरोध प्रदर्शन कर रहे फिल्मकारों, कलाकारों, चित्रकारों, साहित्यकारों और अन्य संस्कृतिकर्मियों पर बर्बर लाठी चार्ज किया और पचास से ऊपर लोगों को गिरफ्तार किया। यह प्रतिरोध और विरोध के मौलिक लोकतांत्रिक अधिकार का तो हनन है ही, इससे वामपंथ की छवि भी कलंकित हो रही है।

हम लेखक, बुद्धिजीवी, कलाकार, रंगकर्मी, चित्रकार पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जारी सरकारी दमन की कठोर शब्दों में निंदा करते हैं और राष्ट्रपति महोदया से अनुरोध करते हैं कि मूकदर्शक रहने के बजाए इस कृत्य को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाएं।

बयान जारी करने वालों में प्रसिद्ध आलोचक और जसम के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मैनेजर पांडेय, कवि नवारुण भट्टाचार्य, फिल्मकार लाडली मुखर्जी, फिल्मकार संजय जोशी, फिल्मकार नितिन के., चित्रकार सनातन डिंडा, चित्रकार अशोक भौमिक, जसम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामजी राय और अजय कुमार, कवि विष्णु खरे, कवि मंगलेश डबराल, कवि वीरेन डंगवाल, जसम के पूर्व महासचिव अजय सिंह, अर्थशास्त्री डॉ. नवल किशोर चौधरी, जसम के राष्ट्रीय महासचिव प्रणय कृष्ण, कथाकार मधुकर सिंह, कथाकार सुरेश कांटक, आलोचक राम निहाल गुंजन, आलोचक सियाराम शर्मा, आलोचक रवींद्रनाथ राय, कहानीकार-आलोचक अरविंद कुमार, समयांतर के सपांदक पंकज विष्ट, प्रसंग के संपादक शंभु बादल, फिलहाल की संपादिका प्रीति सिन्हा, बया के संपादक गौरीनाथ, जनमत के संपादक सुधीर सुमन, प्रो. बलराज पांडेय, कवि बलभद्र, कवि सुरेंद्र प्रसाद, रंगकर्मी जावेद अख्तर, रंगकर्मी संतोष झा, रंगकर्मी दीपक सिन्हा, रंगकर्मी अरुण प्रसाद, चित्रकार राकेश दिवाकर, कवि सुमन कुमार सिंह, कवि अरुण शाद्वल, कवि राजेश कमल आदि प्रमुख हैं।

सीपीएम की गुंडागर्दी का नमूना

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