tag:blogger.com,1999:blog-7407410912144762344.post8420456487304431261..comments2023-04-06T16:53:38.027+05:30Comments on समकालीन जनमत: चंद्रशेखर- नई पीढ़ी का मार्क्सवादी नायकसमकालीन जनमतhttp://www.blogger.com/profile/04350720401949445699noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-7407410912144762344.post-78177353892981960262007-10-26T23:58:00.000+05:302007-10-26T23:58:00.000+05:30kamal karte hai pranay ji..unki kalam me ab takat ...kamal karte hai pranay ji..unki kalam me ab takat nahi bachi isliye apne purane lekh publish kar apni dhaak jama rahe hai..mahaan hai aise comrade...Nakulhttps://www.blogger.com/profile/01423900077324163470noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7407410912144762344.post-22202782418581740272007-10-26T11:13:00.000+05:302007-10-26T11:13:00.000+05:30आखिर ये हो क्या रहा है? क्या समकालीन जनमत ने आपा ख...आखिर ये हो क्या रहा है? क्या समकालीन जनमत ने आपा खो दिया है?इस लेख का मुखड़ा तो खुद मठाधीशी से प्रेरित लग रहा है प्रणयजी का लेख तो हम पहले ही पढ चुके थे,अगर लिखना ही था तो चन्दूजी की शहादत के बाद क्या कुछ बदला है इस पर लिखना चाहिये था पर लगता है सबको आप अपना कार्यकर्ता बनाने पर तुले हैं.....शायद आप नही जानते कि समकालीन जमनत को हम किस नज़र से देखते हैं... थोड़ा धैर्य धारण करना चाहिये.. इस सब से तो यही लग रहा है कि आपकी मठाधीशी को कोई चुनौती दे रहा है.. ऐसा है क्या? ये टिप्पणी भी मै प्रतिक्रियावश ही दे रहा हूं। प्रणय के लेख से जोड़्कर इस टिप्पणी ना देखा जाय\ मेरी टिप्पणी इस लेख के मुखड़े पर है !!!!VIMAL VERMAhttps://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7407410912144762344.post-31659045818418996062007-10-25T13:00:00.000+05:302007-10-25T13:00:00.000+05:30जनमत, जन के लिए है इसका इस्तेमाल व्यक्तिगत भड़ास नि...जनमत, जन के लिए है इसका इस्तेमाल व्यक्तिगत भड़ास निकलने के लिए न करे उसकेAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/07713657523946639395noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7407410912144762344.post-30761752515812611462007-10-24T20:23:00.000+05:302007-10-24T20:23:00.000+05:30सावधान! बात को सही संदर्भ में समझे बिना आपने चंद्र...सावधान! बात को सही संदर्भ में समझे बिना आपने चंद्रशेखर के बहाने ललकारा है तो अब करिए मुकाबला। नटनी सारी लोकलाज और लिहाज छोड़कर अब बांस पर चढ़ रही है। कल से खोल रहा हूं पिटारा। इंतज़ार कीजिए। बड़े गहरे जख्म दिए हैं इन टुटपुजिया दुकानदारों ने। एक-एक जख्म का हिसाब लूंगा।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7407410912144762344.post-77607359564469084902007-10-24T12:56:00.000+05:302007-10-24T12:56:00.000+05:30अभय जी आपको ये बात पहले बाल विवाह के सिद्धांतकार स...अभय जी आपको ये बात पहले बाल विवाह के सिद्धांतकार से करनी चाहिए थी..रही बात अपनों की तो हमारा मानना है कि जो लोग अपनों के प्रति निर्मम होते हैं वो दुनिया के प्रति सजल होते हैं.. और इसके ठीक उलट जो लोग अपने प्रति ही केवल लल्लो चप्पो करते हैं वो दुनिया के प्रति निर्दयी होते हैं।समकालीन जनमतhttps://www.blogger.com/profile/14711452424404659438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7407410912144762344.post-42356818321787971122007-10-24T08:00:00.000+05:302007-10-24T08:00:00.000+05:30इस आलेख को आप ने जिस भूमिका का मुकुट पहनाया है.. व...इस आलेख को आप ने जिस भूमिका का मुकुट पहनाया है.. वह बिलकुल टाट का पैबन्द है.. कहाँ उदात्त भावनाओं की बात.. और कहाँ छिछली प्रतिक्रिया.. अपने ही साथियों को इस तरह का मुँहतोड़ जवाब देने से बचें... और तमाम दूसरे मुद्दे हैं लिखने को.. नहीं मिल रहे हैं तो उन्ही से प्रेरणा लें जिनको मुँहतोड़ जवाब दिया जा रहा है..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7407410912144762344.post-40316016216883846342007-10-24T04:05:00.000+05:302007-10-24T04:05:00.000+05:30nayak nayak karte raho aur inke hatyaron ko azad g...nayak nayak karte raho aur inke hatyaron ko azad ghoomne do. jismein dam hota hai wo Chandu ki tarah kaam karta hai ye bhavukta se bhari kahaniyaan nahin likhta. itna hi Chandu ko yaad karte ho to uske hatyare abhi tak zinda kyon hai? sarkaar bhi to tumhari hai, ye Karat aur yechuri ko kaho ki hatyaron ko saza dilayein.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7407410912144762344.post-16823133628213471312007-10-23T22:01:00.000+05:302007-10-23T22:01:00.000+05:30मैं अपने आप को व्यक्ितगत रूप से दुर्भाग्यशाली ...मैं अपने आप को व्यक्ितगत रूप से दुर्भाग्यशाली मानता हूं कि मैं चंदू को नहीं देखा। काश हम चंदू को देख सकते।<BR/> चंदू के आदर्शों से जितना उल्लास जगता है उनकी मौत से उतना ही क्षोभ। दुख इस बात का भी है कि चंदू के हत्यारे को अभी उनकी हत्या की सजा तक नहीं मिल सकी है।सुभाष मौर्यhttps://www.blogger.com/profile/10721973196946843748noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7407410912144762344.post-57412334905278228042007-10-23T14:44:00.000+05:302007-10-23T14:44:00.000+05:30चन्द्रशेखर नई पीढी के मार्क्सवादी नायक ही नहीं ब...चन्द्रशेखर नई पीढी के मार्क्सवादी नायक ही नहीं बल्कि सच्चे अर्थों में राष्ट्र नायक थे। मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुडा हूं। वैचारिक रूप से चन्द्रशेखर का धुर विरोधी हूं। लेकिन अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व, ईमानदारी, आम लोगों के हितों के लिए लडने, अन्याय-अनीति-अनाचार के विरूद्ध सीना तान कर खडा होने के कारण वे हमारे नायक है। विचारधारा चाहे अलग हो लेकिन आदर्शवाद हमें एक कर सकता है। चंदू का जीवन मुझे यही प्रेरणा दे रहा है।संजीव कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/11879095124650917997noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7407410912144762344.post-45542174993379543402007-10-23T12:16:00.000+05:302007-10-23T12:16:00.000+05:30चंदू जी पर प्रणय जी का लिखा एक बार फिर तल्लीनता से...चंदू जी पर प्रणय जी का लिखा एक बार फिर तल्लीनता से पढ़ा। <BR/><BR/>चंदू जी के क्रांतिकारी व्यक्तित्व का ही आकर्षण था जिसने मुझे पत्रकारिता की नौकरी कुछ वर्षों के लिए छोड़कर जेएनयू में पढ़ाई कर लेने के लिए प्रेरित किया। संयोग से मुझे भी वही हॉस्टल मिला जिसमें चंदू रहते थे। <BR/><BR/>चंदू में हम भगत सिंह का अक्स देखते हैं। उनके संघर्ष, उनकी संवेदनशीलता और उनकी शहादत में उसी तरह की झकझोरने वाली प्रेरणा है।Srijan Shilpihttps://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.com