tag:blogger.com,1999:blog-7407410912144762344.post678657237268229099..comments2023-04-06T16:53:38.027+05:30Comments on समकालीन जनमत: मौलिकता के बदलते प्रतिमानसमकालीन जनमतhttp://www.blogger.com/profile/04350720401949445699noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-7407410912144762344.post-74172934276310121042008-03-22T08:38:00.000+05:302008-03-22T08:38:00.000+05:30चंद्रभूषण जी, आपको समझ में सबसे ज्यादा आया है। और ...चंद्रभूषण जी, आपको समझ में सबसे ज्यादा आया है। और यह आपकी अपनी मौलिकता है जो समझने से इनकार कर रही है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7407410912144762344.post-57744392553784383272008-03-21T16:14:00.000+05:302008-03-21T16:14:00.000+05:30जबरदस्त। आपसे यही उम्मीद थी और आज भी है कि आप किसी...जबरदस्त। आपसे यही उम्मीद थी और आज भी है कि आप किसी ईमानदार अनुभूति से उपजी बहस को ऐतिहासिक आयाम प्रदान करेंगे, सार्थक विस्तार देंगे। इंतज़ार है अगली कड़ी का। इससे पहले भी जाति व्यवस्था पर आपने अंबेडकर की बातों के संदर्भ में बड़े काम की बातें सामने रखी थीं।<BR/>शुक्रिया।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7407410912144762344.post-76540187636751725412008-03-21T15:55:00.000+05:302008-03-21T15:55:00.000+05:30बहुत उलझा हुआ है। लेख तो क्या, लेख का एक अक्षर भी ...बहुत उलझा हुआ है। लेख तो क्या, लेख का एक अक्षर भी समझ में नहीं आया। थोड़ा आसान लिखें। उद्धरण का उपयोग कम से कम करते हुए सीधे अपनी बात कहें तो ज्यादा कम्युनिकेट होगी।चंद्रभूषणhttps://www.blogger.com/profile/11191795645421335349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7407410912144762344.post-6076741244906779992008-03-21T15:44:00.000+05:302008-03-21T15:44:00.000+05:30विचारणीय मुद्दा है, इस पर स्वस्थ बहस होनी चाहिए , ...विचारणीय मुद्दा है, इस पर स्वस्थ बहस होनी चाहिए , लेकिन जहाँ बहसों का मतलब व्यक्तियों को शिकार बनाना हो और इस चक्कर में विचारधारा, संगठन और आन्दोलन सब शिकार बन जायें तो भी माथे पर शिकन न आए, वहां स्वस्थ बहस की उम्मीद कितनी कम है, इसे आप भी जानते होंगे।Arun Adityahttps://www.blogger.com/profile/11120845910831679889noreply@blogger.com