tag:blogger.com,1999:blog-7407410912144762344.post2359219901267946925..comments2023-04-06T16:53:38.027+05:30Comments on समकालीन जनमत: क्योंकि चुप रहना अपराध है!समकालीन जनमतhttp://www.blogger.com/profile/04350720401949445699noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-7407410912144762344.post-19689751884204886572007-09-22T18:11:00.000+05:302007-09-22T18:11:00.000+05:30न्यायालय के अन्याय का केंद्र होने की बात कोई नई नह...न्यायालय के अन्याय का केंद्र होने की बात कोई नई नहीं है. कचहरी में कोई काम पैसे के बग़ैर कभी हुआ नहीं है. पैसा देकर सारे ग़लत काम वहाँ आसानी से कराए जा सकते हैं. हिंदी फिल्में कानून के अंधे होने की जो बात बार-बार करती रही हैं, वह कुछ और नहीं यही है. घुमा-फिरा कर फिल्मकार यही कहते रहे हैं. साहित्य में भी यह बात हजार बार कही गई है और अभी जब सीलिंग शुरू हुई तो भी यही कहा जा रहा था इसके मूल में शहर की सूरत नहीं मालों में लगा नेताओं का माल है. न्यायपालिका नेताओं से भी आगे निकली यह जानकार अच्छा लगा. उसके चहरे पर चढ़ा मुलम्मा भी उतर गया. नई सारी शायद हर चहरे से मुलम्मा उतरने की ही सदी हो.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.com